आज राखी का त्यौहार है विजय अपनी बहन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था लेकिन अभी तक उसकी बहन कुसुम उसके घर नहीं पहुंची थी तभी विजय की पत्नी रेखा विजय से पूछती है क्या बात कुसुम अभी तक नहीं आई है अपनी लंबी चौड़ी गाड़ी लेकर विजय बोलता है पता नहीं हर बार तो वह सुबह-सुबह जल्दी आ जाती थी इस बार पता नहीं क्यों इतनी देर कर रही है विजय की बात सुनकर रेखा बोलती है कि तुम ही अपनी बहन के घर चले जाओ अगर वह नहीं आना चाहती है यहां फिर विजय बोलता है
तुम तो
चाहती ही हो
कि मेरी बहन
यहां घर में
आए ना आज तो
त्यौहार का दिन
है आज के
दिन भी नहीं
आने देना चाहती हो तुम तभी विजय ऐसा
बोलकर तुरंत कुसुम को
फ़ोन करके पूछता हे कुसुम
तुम अभी तक
नहीं आई राखी
पर शुभ मुहूर्त
निकल जा रहा
निकल जा रहा
है कुसुम बोलती
है भैया मैं
नहीं आ पाऊंगी
इस बार राखी
पर विजय हैरान
हो जाता है
बोलता है कुसुम
क्या तुम हमसे नाराज़ हो कुसुम बोलती हे नहीं नहीं भैया ऐसी कोई बात नहीं
हे गुड्डू के पापा घर में नहीं हे फिर
विजय बोलता है चल
कोई बात नहीं में ही तेरे यहाँ आजा ता हु
तभी कुसुम अपने भाई
की ये बात सुनकर बोलती
है नहीं नहीं
भैया में
ही अभी थोड़ी देर में
मैं वहां पहुँचती
हु आप परेशान मत हो थोड़ी देर में कुसुम मायके पहुंचने वाली होती हे और विजय देखता हे
की उसकी बहन कुसुम
उसको राखी बांधने
के लिए ऑटो से पहुंच
गयी हे विजय की पत्नी विजय
से बोलती है आज
तुम्हारी बहन अपनी
लंबी चौड़ी गाड़ी
लेकर नहीं आई
क्या बात आज
ऑटो में आ
रही है यह
सुनकर विजय रेखा
से बोलता है
अरे थोड़ा धैर्य
रखो उसको
अंदर तो आने
दो पूछ लेंगे
क्या बात है
रेखा से
बोलती है मुझे क्या
है क्या मैं
तो बस ऐसे
ही सोच रही
हूं हर
बार लंबी गाड़ी
लेकर आती थी
आज ऑटो से
आ रही है
क्या बात हो
गई है
अब कुसुम ऑटो वालों को
पैसे देकर अंदर
आती है और
अपने भैया और
भाभी के पर
छूती है तो भैया
उससे बोलते आओ
बहन बैठो अब
कुसुम में बैठ
जाती है और
उसकी भाभी कुसुम को
देखकर उससे कहती
है क्या बात आज
तुम अपनी लंबी
गाड़ी से नहीं
आई आज तुम्हारा
ड्राइवर भी नहीं
दिख रहा है
नहीं तो तुम
हर बार यही
बोलती थी ना
कि दीदी ड्राइवर
के लिए प्लीज
दूसरे रूम में
चाय पानी का
इंतजाम कर दीजिए
मैंने तो
पहले से ही
तुम्हारे ड्राइवर के लिए
चाय पानी का
इंतजाम कर रखा
था अब क्या करूं
तभी विजय बोलता
है अरे भगवान
थोड़ी देर चुप
तो हो जाओ
मुझे बात करने
दो रेखा बोलती
है हां करो मैं
तो खाली ऐसे
ही पूछ रही
थी तभी विजय बोलता
है कुसुम सब
ठीक है ना
क्या बात तुम
इस बार अपनी
गाड़ी से नहीं
आई इतनी बारिश
भी हो रही
है बल्कि तुम्हें तो
गाड़ी से आना
चाहिए था
तभी कुसुम बोलती है
भैया ऐसा कुछ
नहीं है एक्चुअली
गुड्डू के पापा
को इस बार
थोड़ा सा काम
था तो वह बाहर
गए हैं गाड़ी
लेकर तो मुझे
बोल रहे थे
तू कैसे जाएगी
क्योंकि गाड़ी तो वह
ले गए हैं
तो मैंने बोला मैं
टैक्सी बुक करके
चली जाऊंगी पासी में
तो है और घर से
बाहर निकली तो
ऑटो वाला दिख
गया मैंने सोचा चलो
इसी में बैठकर
आ जाती हूं
तो आ गई
अब विजय कहता
है चलो ठीक
है कोई बात
नहीं
इतने में
ही रेखा कहती
है अरे तुम
दोनों भाई-बहन
आपस में ही
बात करते रहोगे
मुझे भी तो
अपने भाई के
घर जाना है
राखी बांधने चलो
विजय मैं जा
रही हूं भाई
को राखी बांधने
तुम दोनों रहो ठीक
है और मैं
शाम तक आऊंगी
और कुसुम तुम
रुकोगी या चली
जाओगी तभी कुसुम
बोलती है नहीं
भाभी मैं तो
चली जाऊंगी इस
बार थोड़ा सा
घर पर भी
कुछ काम है
तभी रेखा बोलती
है क्यों हर
बार तो तुम
यहां रुकती हो
और भाई के
घर आई हो
तो एक दिन
तो रुक कर जाओगी
इस बार नहीं
रुकोगी क्या इतना बोलकर रेखा वहां
से चली जाती
है तभी विजय
बोलता है अरे
कुसुम चल ठीक
है राखी बांध
दे शुभ मुहूर्त
निकाला जा रहा
है अब कुसुम
अपने भाई को
कलाई पर राखी
बांध देती है
आप विजय मोबाइल
पर SMS आता
है और उसे
SMS को देख
कर विजय के
हाव-भाव एकदम
से बदल जाते
हैं और वह
कुसुम से बोलता
है कुसुम तुम
1 मिनट रुको मैं
अभी आया ऐसा
बोलकर वह दूसरे
कमरे में जाकर
रेखा को फोन
करता है और
रेखा से बोलता
है रेखा तुमने
FD तोड़ दी
क्या? रेखा बोलती
है हां मैंने
तोड़ दी है
विजय बोलता है
रेखा तुम्हें
पता है ना
इस FD को
जोड़ने में हमें
कितने साल लगे
हैं और तुमने
एक झटके में ही
इसको तोड़ दिया
अरे अगर तुम्हारे
भाई को कुछ
पैसों की जरूरत
थी तो मुझे
बता देती तुमने तो सीधे
जाकर FD तोड़
दी तभी रेखा
बोलती है मेरे
भाई को इस
पैसे की कोई
जरूरत नहीं थी
और अभी मैं
यहां पर राखी
के लिए आई
हूं तो मैं
तुम्हें घर आकर
सारी बातें बताऊंगी
मैं शाम तक आ रही हूं
और कुसुम
से भी बोलना
कि वह वही रुकेगी जब मैं
आऊंगी तभी जाए
ऐसा बोलकर रेखा
फोन काट देती
है अब विजय
कमरे में वापस
आता है तो
कुसुम से पूछती है
भैया क्या
हुआ कहां चले
गए थे और
आप इतने परेशान
क्यों नजर आ रहे
हो तब विजय
बोलता है नहीं
कोई बात नहीं
है चल तू
एक काम कर
अपने भाई को
मिठाई तो खिला मिठाई खिलाने के
बाद कुसुम बोलती
है भैया मुझे
जाना होगा आज
थोड़ी जल्दी जाना
है
विजय बोलता है अरे अभी
रेखा का फोन
आया था उसने
बोला था कि
तुझे बोलना
है कि जब
वह घर आएगी
तो तभी तू
जाना कुछ काम है
उसको कुसुम बोलती
है ठीक
है भैया मैं
शाम तक जाती
हूं
विजय बोलता है और बता
क्या चल रहा
है क्या नहीं
चल रहा है
अब दोनों भाई-बहन
आपस में बात
करने लगते हैं
देखते ही देखते
शाम हो जाती
है
तभी रेखा वापस
घर आ जाती
है और कुसुम
रेखा से बोलती
है अच्छा भाभी
अब मैं घर
चलती हूं बहुत
शाम हो गई
है रेखा कुसुम से बोलती
है तुम रुकोगी
नहीं तो कुसुम
बोलती है नहीं
और क्या गिफ्ट
दिया तुम्हारे
भाई ने आज
तुम्हें कुसुम
बोलती है भाभी
भैया ने तो
मुझे थोड़े पैसे
दिए हैं तो
तभी रेखा बोलती
है क्या इन
पैसों से तुम्हारा
पूरा हो जाएगा
तभी कुसुम बोलती
है भाभी मैं
कुछ समझी नहीं
तभी रेखा बोलती
हैतुम अपने भाई
को मानती भी
हो अब कुसुम हैरान
हो जाती है
अपनी भाभी के
मुंह से ऐसी
बातें सुनकर तभी
विजय बोलता है
रेखा तुम यह
क्या बोल रही
हो क्या हो
गया है तुम्हें
आज तुम होश
में तो हो
तुम यह सब
कैसी बातें कर
रही हो
रेखा
बोलती है हां
मैं बिल्कुल सही
हूं सही बात
कर रही हूं
और मैं होश
में बात कर
रही हूं अगर
यह तुम्हें अपना
भाई मानती होती
तो यह तुम्हें अपनी सारी
बातें बताती क्या
इसने तुम्हें कुछ
बताया अब विजय
हैरान हो जाता
है और रेखा
की तरफ
देखता है और पूछता
है क्या बात है
रेखा क्या
सच बताना है
तुम कुछ
खुलकर नहीं बोल
रही हो बताओ
क्या बात है
रेखा ऐसी
पहेलियां मत बुझाओ
मुझे कुछ समझ
में नहीं आ
रहा है तभी
विजय कुसुम से
पूछता है कुसुम
तू ही बता
क्या सच है
और क्या तू
हमसे छुपा रही
है कुसुम बोलती
है कुछ नहीं
भैया ऐसा कुछ
नहीं है मुझे
तो कुछ समझ
में नहीं आ
रहा है भाभी
आज ऐसी बातें
क्यों कर रही
है
तभी रेखा बोलती है विजय
तुम्हें पता भी
है तुम्हारी बहन
किस दौर से
गुजर रही हैतभी
मैं तुमसे कह
रही थी इस
बार राखी पर
तुम अपनी बहन
के घर जाओ
और तुम मुझे
समझ नहीं पा
रहे थे कि
मैं ऐसा क्यों
कह रही हूं जिस
बहन को तुम करोड़पति
समझ रहे हो
वह कंगाल हो गई
है यह पिछले
6 महीने से किराए
के घर में
रह रही है
अपना घर
गिरवी रख दिया
है और यह
ऑटो में इसलिए
आई क्योंकि गाड़ी पर जो
लोन था वह
चुका नहीं पाए इसलिए
वह बिक गई
है और मैंने
जो FD तोड़ी
है वह अपने
भाई को पैसे
देने के लिए
नहीं तोड़ी कागज यह
लो कागज तब विजय
बोलता है क्या
है यह किस
चीज के कागज
है तो रेखा
बोलती है यह यह
कुसुम के घर
के कागज है
जिन्हें मैं FD
के पैसे से छुड़वाकर
लाई हूं कुसुम
तुमने अपने भैया
भाभी को अगर
अपना मानती होता तो
तुम हमसे एक
बार अपनी प्रॉब्लम
शेयर करती क्या
तुमने हमें
इस लायक भी
नहीं समझा कि
हम तुम्हारे किसी
काम आ सके ऐसा
क्यों होता है
कि हम अपनों को ही
अपना दर्द बांटने
से डरते हैं
अब कुसुम अपने घर
के कागज देखकर
उसकी आंखों में
आंसू आ जाते
हैं और विजय
भी रेखा को
देखता रह जाता
है क्योंकि रेखा को
वह हमेशा समझाता
था कि वह
उसकी बहन को
अच्छा नहीं मानती
लेकिन आज उसने
ही उसको गलत
सिद्ध कर दिया|
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