ससुराल आई ननद | Hindi Kahani | Bedtime Stories | Stories in Hindi | Khani Moral Stories

यह कहानी एक गरीब बहू, राधा, और उसकी चालाक ननद, मीना, की है। कहानी में ससुराल के माहौल में कई मोड़ और उतार-चढ़ाव आते हैं, जो आपको पूरी तरह बांधे रखेंगे।


 राधा का ससुराल में स्वागत

(राधा को उसके ससुराल में पहली बार प्रवेश करते दिखाया जाता है। घर में खुशियों का माहौल है।)

सासु माँ: (मुस्कुराते हुए) राधा, तुम्हारा स्वागत है इस घर में।

राधा: (सर झुकाते हुए) धन्यवाद, माँजी।

मीना, राधा की ननद, अंदर आती है और उसे देखती है।

मीना: (मन ही मन) यह नई बहू बहुत सीधी-सादी लगती है। देखते हैं, इससे क्या काम निकलवाया जा सकता है।




ननद की पहली चाल

(मीना ने राधा को परेशान करने के लिए एक योजना बनाई। वह जानबूझकर रसोई में चीज़ें इधर-उधर कर देती है।)

राधा: (चौंकते हुए) ये सब बिखरा हुआ क्यों है? मैंने तो सब ठीक किया था।

मीना: (मुस्कुराते हुए) क्या हुआ भाभी? क्या कुछ ढूंढ रही हो?

राधा: (चिंतित) हाँ, दीदी। सब कुछ बिखरा पड़ा है।

मीना: (अहंकार से) मुझे क्या पता? तुमने ही तो रखा होगा।


पति का विश्वास डगमगाना

(राधा का पति, राजेश, रसोई में आता है और बिखरी हुई चीजें देखता है।)

राजेश: (नाराज होकर) राधा, यह क्या हालत बना रखी है? तुमसे कुछ संभलता क्यों नहीं?

राधा: (आंसू भरे आंखों से) मैंने सब कुछ ठीक किया था। पता नहीं कैसे यह सब हुआ।

मीना: (मन ही मन) सही मौका है, अब देखती हूँ इसे कैसे झेलती है।


परिवार का विश्वास

(राधा की सास, सुमित्रा, राधा को डांटती है।)

सुमित्रा: (गुस्से में) राधा, यह क्या हालत बना रखी है? तुम्हें घर संभालना नहीं आता?

राधा: (चिंतित) माँजी, मैंने सब कुछ ठीक किया था। पता नहीं कैसे यह सब हुआ।

मीना: (मुस्कुराते हुए) भाभी, क्या आपको याद नहीं है कि आपने ही सब कुछ इधर-उधर रखा था?


 पति का शक और मीना की चालाकी

(राजेश को लगता है कि राधा घर के कामों में आलसी है और वह उसे अशुभ मानने लगता है।)

राजेश: (निराश होकर) राधा, तुम्हारे आने के बाद से ही घर में समस्याएं बढ़ गई हैं।

राधा: (आहत होकर) राजेश, मैं तो पूरी कोशिश कर रही हूँ।

मीना इस मौके का फायदा उठाकर राजेश को और भड़काने की कोशिश करती है।

मीना: (नकली चिंता दिखाते हुए) भाई, मुझे तो लगता है कि राधा को घर के काम ठीक से नहीं आते।


राधा की बुद्धिमानी

(राधा ने अपनी बुद्धिमानी से मीना की चालाकी को समझ लिया। उसने मीना के हरकतों पर नजर रखने का फैसला किया।)

राधा: (मन ही मन) दीदी जरूर कुछ छुपा रही हैं। मुझे सच का पता लगाना होगा।


मीना की दूसरी चाल

(मीना ने राधा के गहने चुराकर उन्हें अपने कमरे में छुपा दिया और राधा पर इल्जाम लगाया।)

मीना: (चिल्लाते हुए) माँजी, राधा के गहने गायब हैं!

सुमित्रा: (हैरान) क्या? राधा, तुम्हारे गहने कहाँ हैं?

राधा: (हैरान) माँजी, मैंने तो उन्हें अपने कमरे में रखा था।


सच का सामना

(राधा ने मीना के कमरे की तलाशी ली और अपने गहने वहाँ पाए।)

राधा: (दिखाते हुए) माँजी, देखिए! मेरे गहने यहाँ हैं।

सुमित्रा: (गुस्से में) मीना, यह सब क्या है?

मीना: (झिझकते हुए) म...माँजी, मैंने कुछ नहीं किया।

राजेश: (गुस्से में) मीना, यह सब क्यों किया?


 पति का माफी मांगना

(राजेश को अपनी गलती का अहसास होता है और वह राधा से माफी मांगता है।)

राजेश: (निराश होकर) राधा, मुझे माफ कर दो। मैं तुम्हें गलत समझ बैठा।

राधा: (मुस्कुराते हुए) कोई बात नहीं, राजेश। हमें एक-दूसरे पर विश्वास रखना चाहिए।


 मीना का पश्चाताप

(मीना ने अपनी गलतियों को स्वीकार किया और राधा से माफी मांगी।)

मीना: (रोते हुए) भाभी, मुझे माफ कर दो। मैं अपनी गलतियों का पश्चाताप करती हूँ।

राधा: (मुस्कुराते हुए) दीदी, कोई बात नहीं। हम सब परिवार हैं और हमें एक-दूसरे का साथ देना चाहिए।

सुमित्रा: (खुश होकर) हाँ, अब हमें मिलकर इस घर को खुशियों से भरना है।


Conclusion:

राधा की सहनशीलता और बुद्धिमानी ने उसे परिवार में सम्मान दिलाया। मीना ने अपनी गलतियों से सीख ली और सभी ने मिलकर एक खुशहाल जीवन की शुरुआत की।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ