यह कहानी राधा और उसकी सहेलियों की है। राधा एक साधारण परिवार की लड़की है, जबकि उसकी सहेलियाँ अमीर घरों से हैं। जब राधा ने अपनी सहेलियों को अपने घर आने का न्योता दिया, तो उसे चिंता थी कि वे उसके घर और उसकी गरीबी को कैसे स्वीकारेंगी। कहानी में कई मोड़, सस्पेंस और मजेदार घटनाएँ हैं जो आपको पूरी तरह बांधे रखेंगे।
स्कूल
का प्रोग्राम
(स्कूल में एक
प्रोग्राम के दौरान,
राधा अपनी सहेलियों
को अपने घर
आने का न्योता
देती है।)
राधा: (संकोच से) सुनो,
तुम सब मेरे
घर आओगी? मैं
चाहती हूँ कि
तुम लोग मेरे
परिवार से मिलो।
सोनिया: (मुस्कुराते हुए) हाँ,
क्यों नहीं राधा!
हम जरूर आएंगे।
पायल: (खुश होकर)
हाँ, हमें बहुत
मजा आएगा।
नेहा: (थोड़ा संदेह से)
राधा, क्या तुम्हारा
घर... मतलब, सबकुछ
ठीक है न?
राधा: (थोड़ी घबराहट में)
हाँ, सब कुछ
ठीक है। तुम
लोग बस आओ।
तैयारी
का दिन
(राधा अपने घर
की सफाई कर
रही है और
अपनी माँ से
बात कर रही
है।)
राधा: (चिंतित होकर) माँ,
मेरी सहेलियाँ हमारे
घर आ रही
हैं। हमें सब
कुछ अच्छा रखना
होगा।
माँ: (मुस्कुराते हुए) चिंता
मत करो, बेटा।
हम सब मिलकर
सब कुछ ठीक
कर लेंगे।
पिता: (प्रोत्साहित करते हुए)
हाँ, राधा। तुम्हारी
सहेलियाँ हमारे दिल की
मेहमान हैं, हमारे
घर की नहीं।
सहेलियों
का आगमन
(सोनिया, पायल और
नेहा राधा के
घर आती हैं।)
सोनिया: (आश्चर्यचकित) राधा, तुम्हारा घर
बहुत प्यारा है।
पायल: (मुस्कुराते हुए) हाँ,
बहुत ही आरामदायक
है।
नेहा: (थोड़ी निराश) हाँ,
लेकिन यह हमारे
घरों जैसा नहीं
है।
राधा: (मुस्कुराते हुए) चलो,
मैं तुम्हें अपना
घर दिखाती हूँ।
(नेहा अपने साथ
एक कीमती पर्स
लाती है जिसे
वह राधा के
घर में भूल
जाती है।)
भोजन
का समय
(राधा की माँ
ने साधारण लेकिन
स्वादिष्ट खाना बनाया
है।)
माँ: (प्रेमपूर्वक) बेटियों, यह खाना
खाओ। हमने अपने
दिल से बनाया
है।
सोनिया: (खुश होकर)
आंटी, यह खाना
बहुत स्वादिष्ट है।
पायल: (मुस्कुराते हुए) हाँ,
आंटी। हमने ऐसा
खाना कभी नहीं
खाया।
नेहा: (थोड़ी संकोच से)
हाँ, लेकिन हमें
ऐसे खाने की
आदत नहीं है।
(खाने के बाद,
नेहा अचानक उल्टी
करने लगती है।)
नेहा: (चौंककर) मुझे माफ
करना, लेकिन मुझे
कुछ ठीक नहीं
लग रहा है।
(सभी हँसने लगते हैं।)
सच्चाई
का सामना
(रात में, राधा
की सहेलियाँ राधा
के घर की
स्थिति पर बात
करती हैं।)
सोनिया: (सोचते हुए) राधा,
तुम्हारा घर बहुत
अच्छा है। हमें
यहाँ आकर बहुत
अच्छा लगा।
पायल: (समझाते हुए) हाँ,
राधा। असली खुशी
सादगी में है।
नेहा: (मुस्कुराते हुए) हाँ,
शायद हम सबको
अपने जीवन में
सादगी की जरूरत
है।
राधा: (खुश होकर)
धन्यवाद, दोस्तों। मुझे डर
था कि तुम
लोग मेरी स्थिति
को समझ नहीं
पाओगी।
अचानक
की मुश्किल
(अचानक, राधा के
घर में बिजली
चली जाती है
और सब अंधेरे
में हो जाते
हैं।)
सोनिया: (चौंककर) अरे, बिजली
कैसे चली गई?
पायल: (थोड़ा डरते हुए)
अब क्या करेंगे?
राधा: (शांत होकर)
कोई बात नहीं,
दोस्तों। हम मोमबत्ती
जलाकर बैठेंगे। यह
हमारे लिए सामान्य
बात है।
(राधा ने मोमबत्तियाँ
जलाई और सब
मिलकर बैठ गए।)
नेहा: (हँसते हुए) यह
तो मजेदार है,
जैसे कैंपिंग कर
रहे हों।
मजेदार
घटना
(मोमबत्ती की रोशनी
में, सभी सहेलियाँ
बातें करती हैं
और अपने-अपने
अनुभव साझा करती
हैं। अचानक, राधा
का पालतू कुत्ता,
मोती, अंदर आता
है और नेहा
के पर्स को
अपने मुँह में
ले लेता है।)
नेहा: (चौंककर) अरे, वो
मेरा पर्स!
सोनिया: (हँसते हुए) मोती
को शायद तुम्हारा
पर्स पसंद आ
गया है।
राधा: (मोती को
पकड़ते हुए) मोती,
इसे छोड़ दो!
(मोती पर्स छोड़
देता है और
सब हँसने लगते
हैं।)
साजिश
का पर्दाफाश
(नेहा का पर्स
गायब हो जाता
है और वह
उसे ढूँढती है।)
नेहा: (परेशान होकर) मेरा
पर्स कहाँ गया?
(राधा को संदेह
होता है कि
शायद नेहा का
पर्स उसके छोटे
भाई ने उठा
लिया होगा। वह
अपने भाई के
कमरे में जाती
है।)
राधा: (गुस्से में) भैया,
तुमने नेहा का
पर्स देखा है?
भाई: (डरते हुए)
हाँ दीदी, मुझे
माफ करना। मैंने
सोचा यह हमारा
खिलौना है।
(राधा पर्स नेहा
को लौटा देती
है और सभी
राहत की साँस
लेते हैं।)
नेहा: (मुस्कुराते हुए) कोई
बात नहीं, राधा।
बच्चे तो ऐसे
ही होते हैं।
सच्चे
दोस्त
(मोमबत्ती की रोशनी
में, सभी सहेलियाँ
बातें करती हैं
और अपने-अपने
अनुभव साझा करती
हैं।)
सोनिया: (गंभीर होकर) राधा,
तुम बहुत मजबूत
हो। हमें तुमसे
बहुत कुछ सीखना
है।
पायल: (मुस्कुराते हुए) हाँ,
सच में। तुम्हारी
सादगी और दिलदारी
हमें बहुत पसंद
आई।
नेहा: (आंखों में आंसू
लिए) मुझसे गलती
हो गई। मैं
तुम्हारी स्थिति को समझ
नहीं पाई। हमें
अपनी दोस्ती की
कदर करनी चाहिए।
राधा: (भावुक होकर) धन्यवाद,
दोस्तों। तुम्हारी यह बातें
मेरे लिए बहुत
मायने रखती हैं।
दिल
से दिल तक
(सभी सहेलियाँ एक-दूसरे
के गले लगती
हैं और उनकी
दोस्ती और मजबूत
हो जाती है।)
सोनिया: (मुस्कुराते हुए) राधा,
तुम सच्ची दोस्त
हो।
पायल: (खुश होकर)
हाँ, हमें तुम
पर गर्व है।
नेहा: (दिल से)
और हमें खुशी
है कि तुम
हमारी दोस्त हो।
राधा: (मुस्कुराते हुए) और
मुझे भी गर्व
है कि तुम
लोग मेरी दोस्त
हो।
Conclusion:
यह कहानी हमें यह
सिखाती है कि
सच्ची दोस्ती किसी
भी परिस्थिति में
मजबूत रहती है।
सादगी और सच्चाई
से भरा दिल
हमेशा जीतता है।
हमें अपने दोस्तों
की कदर करनी
चाहिए और उनकी
स्थिति को समझने
की कोशिश करनी
चाहिए।
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