यह कहानी है रवि और अमित दो भाइयों की जिनकी पत्नियों आपस में देवरानी जेठानी है उनमें बिल्कुल भी नहीं बनती रवि अमित का छोटा भाई है जो एक ही घर में एक साथ रहते हैं लेकिन दुनिया वालों की नजर में पर दोनों का रहना बिलकुल अलग-अलग था सिर्फ वह एक घर में इसलिए रहते थे ताकि समाज में वह दिखा सके कि वह बहुत अच्छा परिवार हैरवि जो छोटा था वह घर की ऊपरी मंजिल में रहता था एक दिन रवि के बच्चे छत पर क्रिकेट खेल रहे थे तो नीचे बहुत तेज आवाज आ रही थी वही जेठानी के बच्चों का एग्जाम था जो निचे पढ़ाई कर रहे थे तो जेठानी बोली ऊपर इतनी तेज क्रिकेट मत खेलो नीचे पढ़ाई में डिस्टर्ब हो रहा है
ये सब सुनकर देवरानी को लड़ने का मौका मिल गया था उसने बोला अब क्या तुम यह चाहती हो मेरे बच्चे क्रिकेट भी ना खेले तुम्हें मेरे बच्चों से इतनी ज्यादा चीड़ किस बात की है ऐसा बोलकर वह ऊपर चली जाती है और शाम को जैसे ही रवि घर आता है तो उसको बड़ा चढ़कर सारी बातें बताती है जेठानी जी हमारे बच्चों को खेलने नहीं देती जब भी बच्चे खेलते हे उनको डाटती हे ऐसी बातें कर के रवि के कान भर देती है अब रवि जो अभी थका हारा अपने घर आया था और बिजनेस भी कुछ खास नहीं चल रहा था उसका दिमाग वैसे ही गर्म था और गर्म हो जाता है तो वह नीचे जाकर अपने भाई को खरी-खोटी सुना कर आता है और बोलता है क्या तुम मेरे बच्चों को खेलने भी नहीं देना चाहते हो इतनी ज्यादा तुम्हें चिड़ किस बात की है
अमित रवि को बचपन से ही बहुत प्यार करता था अपने छोटे बच्चों की तरह उसको पाला था और उसको गुड्डू कह कर बुलाता था रवि की बाते सुनकर अमित बोला गुडू तुजे कोई गलत फेहमी हो रही हे ऐसा कुछ नहीं है मेरे भाई लेकिन गुड्डू कहां मानने वाला था उसके तो कान भर दिए थे उसने अमित को उल्टा-सीधा बोला और ऊपर चला गया अब ऐसे ही घर में रात दिन किसी न किसी बात पर देवरानी और जेठानी में क्लेश होता रहता था देवरानी जो अपने आप को थोड़ा सा जेठानी से बढ़कर मानती थी वह सोचती थी कि मैं कुछ ज्यादा पढ़ी-- लिखी हूं और होशियार हूं इसी बात का उसको घमंड थाएक दिन देवरानी छत पर कपड़े इस तरीके से डालती है की जेठानी का आंगन पूरा गीला हो जाता है और उसमें कई बार बच्चे फिसल कर गिर जाते हैं और उनको चोट भी लग जाती है
जब जेठानी बोलती है कि इन कपड़ो को कहीं और डाल दो यहां नीचे पानी हो रहा है और बच्चे गिर रहे हैं तो यह सब बातें सुनकर देवरानी लड़ने को आ जाती है और बोलती है कि अब हम कपड़े भी नहीं सुखा सकते इस घर में तुम मेरी सास बनने की कोशिश मत करो इस तरीके से दिन-रात उनके घर में क्लेश होता रहता था दिन भर की यह सब बातें देवरानी अपने पति रवि को बताती है और फिर रवि यह सब बातें सुनकर बोलता है मुझे लगता नहीं इतना सब कुछ यह लोग कर रहे होंगे जितना तुम मुझे बता रही हो कविता जो रवि की पत्नी है
वह कहती है
तुम्हें मुझ पर
यकीन नहीं है
और कविता रोने
लगती है तो रवि कहता
है ठीक है
अब मैं इन
लोगों की हरकतों
पर नजर रखुगा तो
वह घर के
आंगन में सीसीटीवी
कैमरा लगा देता
है और कविता
से बोलता है
देखो अब मैंने
सीसीटीवी कैमरा लगा दिया
है अब यह
लोग जो भी
करेंगे मुझे मेरे
मोबाइल पर दिखाता
रहेगा और अब
तुम्हें मुझे कुछ
बताने की जरूरत
नहीं है इन
लोगों की हरकतों
को मैं मोबाइल
पर ही देख
लूंगा ऐसा बोलकर
वह घर से
चला जाता है
कुछ दिनों बाद जब रवि अपने काम के सिलसिले में बाहर गया होता है तो वह अपने मोबाइल पर अपने घर की गतिविधियों को चेक कर रहा होता है तो वह देखता है कि एक गाड़ी अचानक से उनके गेट पर रूकती है और उसमें से एक आदमी दरवाजा खटखटाता है और रवि का भाई अमित जो कि घर में ही होता है दरवाजा खोलता है वह आदमी पूछता है रवि का घर कौन सा है तो रवि के बड़े भाई उनसे बोलते हैं रवि का घर यही है तुम कौन हो क्या काम है रवि से तुम्हें बोलते हैं हमें रवि चाहिए हमें रवि से काम है उसने इस गाड़ी का लोन जमा नहीं कर रखा है अगर 4 दिन के अंदर लोन जमा नहीं करा तो हम उसको कोर्ट में लेकर जाएंगे और उसकी गाड़ी उठाकर ले जाएंगे अभी यह सब बातें सुनकर अमित बहुत घबरा जाता है
लेकिन अमित …रवि को बहुत प्यार करता है तो वह उन लोगों से पूछता है कितने रुपए भरने होंगे तो वह बोलते हैं दो लाख ₹200000 जमा करने हैं अब जो अमित एक सरकारी कर्मचारी था वह अंदर जाता है और एक चेक में साइन करके ₹200000 भर देता है और रिकवरी वालों को दे देता है रवि यह सब अपने मोबाइल में देख रहा होता है लेकिन उसको यह समझ नहीं आ रहा होता है कि यह सब चल क्या रहा है अब जब शाम को रवि घर आता है तो वह देखता है कि उसके मोबाइल पर एक मैसेज आया है कि तुम्हारा कार लोन भर दिया गया है इस टाइप का मैसेज अपने मोबाइल पर देखकर वह हैरान हो जाता है कि उसने तो कोई लोन नहीं भरा फिर उसका लोन किसने भरा तो
वह फिर अगले दिन लोन ऑफिस में फोन करता है तो वहां से पता चलता है कि वह लोन उसके बड़े भाई ने भरा है यह सुनकर रवि की आंखों में आंसू आ जाते हैं कि जो बड़े भाई को कितना गलत समझता था और उनको नापसंद करता था आज उसने उसकी इतनी बड़ी मदद करी है लेकिन रवि फिर भी यकीन मानने को तैयार नहीं था तो वह कुछ नहीं बोलता है और उसका बड़ा भाई इसके बारे में उसको कुछ नहीं बताता अब 1 दिन रवि जब वह अपनी स्टेटमेंट चेक कर रहा होता है तो उसे पता चलता है कि वह पैसे वाक्य में उसके बड़े भाई अमित ने भरे हैं अब वह समझ जाता है कि जिस भाई को मैं गलत समझता था उसने आज लोन के कर्ज से परेशान भाई मुझे कितनी बड़ी मुसीबत से निकला है
अब वह जब शाम को अपने घर आता है तो उसकी पत्नी फिर कुछ ना कुछ बोलकर उसके कान में भर रही होती है उन्हें आपस में लड़ने की कोशिश करती है लेकिन इस बार- रवि उसे बोलने देता है क्योंकि उसने कैमरे लगाए होते हैं तो वह बोलता है मुझे तो ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा जैसा तुम बोल रही हो अब उसकी पत्नी परेशान हो जाती है कि यह कैमरा तो बड़ी आफत लगवा ली है इससे तो मेरा प्लान सक्सेसफुल नहीं हो रहा है
कविता ये सब ऐसा इसलिए करती थी क्योंकि उसको अपनी जेठानी बिल्कुल भी पसंद नहीं थी उसमें कविता की भी कोई गलती नहीं थी क्योंकि कविता की सहेलियां इस तरीके से उसको भड़का दिया करती थी जिसकी वजह से उसके मन में अपनी जेठानी के लिए नफरत हो जाए वैसे कविता दिल से बहुत अच्छी लड़की थी एक दिन रवि और उसकी पत्नी बाजार गए होते हैं तो अचानक से कविता का भाई उसके ससुराल आ जाता हैरवि और कविता बाजार में थे इस वजह से वह अपने भाई से बोलती है तो घर मत जाना वहां ताला लगा होगा हम अभी पहुंचेंगे थोड़ी देर में तब आना
कविता ऐसा इसलिए बोलता है क्योंकि उसको लगता है कि उसकी जेठानी उसके भाई का मान सम्मान नहीं करेगी लेकिन जब उसका भाई उसे बताता है मैं तो घर में ही बैठा हूं और मुझे तो काफी टाइम हो गया है इन लोगों ने तो चाय पकौड़ी भी खिला दिए और थोड़ी देर में मेरे लिए खाना भी बन जाएगा तुम आराम से आना मेरी चिंता मत करो यह सुनकर देवरानी सोचने लगती है की भाभी को मैं कितना गलत समझ रही थी आज मेरे मायके से मेरा भाई आया तो उन्होंने बिना सोचे समझे उसको इतना मान सम्मान दिया यह सब सोचकर कविता का मन थोड़ा भर आता है और उसकी सोच बदल जाती है लेकिन अभी भी वह अपनी जेठानी से बात नहीं करती क्योंकि उसकी सहेलियां उसको भड़काने में लगी रहती हैं इसी वजह से वह अपनी जेठानी को अच्छा नहीं मानती
एक दिन जब
बड़े भईया और भाभी घर
में अपनी सालगिरह मना रहे
होते हैं तो
रवि का मन
नहीं मानता और वह
नीचे अपने भाई
की सालगिरह के
लिए चला जाता
है और उसके
बच्चे भी आ
जाते हैं लेकिन
उतने में ही
उसकी पत्नी कविता
चिल्लाते हुए आती
है और बोलती है
कि तुम मेरे
से बिना पूछे
कैसे नीचे चले
गए
क्यों गए इन लोगों के वहां यह सुनकर रवि को गुस्सा आ जाता है और वह अपनी पत्नी पर हाथ उठाने वाला ही होता हे तभी उसकी जेठानी बीच में आ जाती है और रवि से बोलती है खबरदार अगर तुमने इस पर हाथ उठाया तो भाभी बोलती हे …अगर कविता को पसंद नहीं तो तुम्हें उसकी बात माननी चाहिए क्योंकि वह तुम्हारे लिए इस घर में आई है और वह तुम्हारी पत्नी है पत्नी का साथ देना चाहिए फिर कुछ देर बाद सबके सामने रवि अपनी पत्नी से बोलता है तुमको पता भी है मैं कितने कर्जे में डूबा हुआ था और इन्होंने बिना बताए मेरी मदद करी और जब तेरा भाई आया था तो तुझे लग रहा था कि मेरे भाई को कौन दिखेगा तब भी भाभी ने कितने अच्छे से तेरे भाई का मान सम्मान किया.
ये सब बातें सुनकर कविता को अपनी गलती का एहसास होता है और वह अपनी जेठानी और भैया से माफी मांगती है वहीं उसके बाद अमित अपने भाई को प्यार से गुड्डू बोलता है और दोनों गले मिल जाते हैं वही दोनों देवरानी-जेठानी एक दूसरे को कसम खाकर बोलते हैं कि अब हम दोनों बहनों की तरह इस घर में रहेंगे और पूरा परिवार हंसते खेलते हुए अपनी जिंदगी गुजरता है.
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