कुसुम घर का काम करके थक गई होती है और वह थोड़ी देर आराम करती है और कुछ देर बाद वह बाजार जाने के लिए तैयार होती हैथोड़ी देर बाद कुसुम तैयार होकर जब सैंडल पहने लगती है तो वह देखी है कि उसकी सैंडल टूट गई है अब वह क्या करें वह अपने पति को फोन करती है और बोलती है मैं बाजार जा रही थी लेकिन मेरी सेंडल तो टूट गई है अब मैं बाजार कैसे जाऊंतो उसका पति कहता है कोई नहीं अभी तुम इस सैंडल से ही काम चला लो मैं शाम को जब घर आऊंगा तो तुम्हारे लिए नई सेंडल लेकर आऊंगा
अब कुसुम जैसे तैसे उन सैंडलों को पहन कर बाजार चली जाती है और शाम को घर आती है तब वह देखी है कि उसका पति उसके लिए एक नई सेंडल का बॉक्स लाया हैं और उसका पति उसको बोलता है लो तुम्हारे लिए मैं सैंडल लाया हूंकुसुम सैंडल का बॉक्स देखकर बहुत खुश होती है अब वह बॉक्स को कमरे में रख देती है आप जब शाम को सब खाना खाकर अपने-अपने रूम में चले जाते हैं उसका पति उससे पूछता है तुमने सैंडल पहन कर देखी कैसी लगी तुम्हें तो वह बोलती है मुझे टाइम नहीं मिला अभी थोड़ी देर में देखूँगी घर का सारा काम ख़त्म करकेअब वह अकेले में उस सैंडल को देखती है उसको बहुत ही ज्यादा पसंद आती है अब वह उसको ट्राई करती है जब कुसुम us सैंडल को पहनती है तो वह बहुत ही ज्यादा खूबसूरत होती है और सोचने लगती है काश यह मेरे पास पहले होती तो मैं इसको पहन कर बाजार चली जाती तो कितना अच्छा होता और थोड़ी ही देर में कुसुम अपने आप को बाजार के बीच में खड़ी देखती है
अब वह सोचती
है मैं अचानक
से बाजार कैसे
आ गई यह
जादू कैसे हो
गया
फिर कुसुम
सोचती है अरे
घर में क्या
चल रहा होगा
ऐसा बोलते ही
कुसुम एकदम से
घर में अपने
आप को देखती हैं
अब कुसुम सोचती
है शायद जो
मैं सोच रही
हूं ये सैंडल
मुझे वहां पहुंचा
दे रही है
यह एक जादुई
सैंडल है अब वह
अपने आप से
बोलती है मैं अपने
पति के साथ
गोवा में होती
तो कितनी मस्ती
करती ऐसा बोलते
ही वह अपने
आप को गोवा
में घूमते हुए
देखती हैं और बोलती
है यह तो
बड़ी चमत्कारी सैंडल
है
इससे तो
बहुत मजा आ
रहा है अब
ऐसे ही करते
हुए कुसुम अलग-अलग जगह
पर अपने आप
को देखती हैं और
वहां पहुंच जाती
है
फिर कुसुम के मन
में एक ख्याल
आता है कि
काश मैं अपने
पति के साथ
समुद्र के बीच
में एक बड़े
से जहाज में
घूम रही होती
तभी वह अपने
पति के साथ
अपने आप को
एक बड़े से
जहाज में देखती हैं
फिर कुसुम बोलती है घर
जाना पड़ेगा तो
वह देखती है ऐसा
बोलने के बाद
भी वह अपने
आप को जहाज
पर ही देखती हैं
अब फिर से कुसुम
बोलती है अब तो
घर जाना पड़ेगा
लेकिन सैंडल
घर नहीं पहुंच
पा रही वह
बहुत परेशान हो
जाती है अब
वह अलग-अलग
तरीके से अपने
मन में घर
जाने की सोचती
है
लेकिन कुसुम
समुद्री जहाज में
ही अटक जाती
है अब वह
परेशान हो जाती
है और सैंडल
उतार करदे खती है
तो उसके नीचे
एक पर्ची लगी
होती है जब
वह उस पर्ची को
खोलती है तो
उसमें लिखा होता
है यह जादुई
सैंडल है यह
केवल धरती पर
ही काम करती है आकाश और
पानी में यह
सैंडल काम नहीं
करेगी
अब कुसुम बहुत ज्यादा
परेशान हो जाती
है और बोलती
है इस सैंडल
ने तो बड़ी
आफत में डाल
दिया है मैं
तो यही फंसकर
रह गई हूं
अब बाहर कैसे
जाऊंगी
अचानक कुसुम
के मुंह से
बहुत जोर से आवाज़
निकलता है किसने मेरे मुंह
पर पानी फेका
और देखती हैं कि
उसका पति उसके
सामने खड़ा है
और बोलता है
इतनी जोर जोर से
क्यों चिल्ला रही
हो
सोने नहीं दोगी
क्या तब कुसुम
को एहसास होता
है कि वह
कोई जादुई सैंडल
नहीं थी वह
तो एक सपना
देख रही होती
है
लेकिन उसके इस
सपने से उसको
यह समझ में
आ जाता है
कि किसी भी
चीज का इस्तेमाल
करने से पहले
उसके बारे में
ढंग से जान
लेना जरूरी है
और जब वह
अपने पति को
यह सब बातें
बताती है तो
दोनों बहुत जोर-स------ जोर से
हंसने लगते हैं
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