बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक किसान रहता था उसके पास एक बहुत ही प्यारी गाय थी जिसको वह बहुत ज्यादा प्यार करता था लेकिन एक बार गांव में सूखा पड़ गया जिससे गांव में कुछ भी अनाज नहीं बचा अब किसान बहुत परेशान हो गया अपनी गाय को क्या खिलाएगा यह सोचते हुए वह चिंता में रहने लगा
एक दिन उसने फैसला किया कि वह अपनी इस गाय को शहर में जाकर बेच देगा क्योंकि उसको गाय को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं था तो वह क्या करेगा इसीलिए उसने यह फैसला लिया कि मैं इस गाय को शहर में जाकर बेच देता हूं और कुछ पैसे मिलेंगे उसे अपने घर का पालन पोषण करूंगा यह सोचकर वह गांव से शहर की ओर जाने का विचार करता हे लेकिन जाने से पहले वह सोचता है कि अब मेरे पास जो कुछ बचा है मेरा कीमती सामान अगर मैं इसे घर में अकेला छोड़ कर जाऊंगा तो कहीं चोर-चोरी ना कर ले इसीलिए वह अपनी कीमती चीज़ सोने के सिक्कों की एक पोटली बनाकर अपनी गाय की पीठ पर पीछे की और बांध देता है
अब वह शहर की ओर चल पड़ता है अब वह थोड़ी दूर जाने पर अपनी गाय को रुक-रुक कर थोड़ा-थोड़ा चारा खिलता रहता है और अपनी पोटली को भी देखता रहता है कि कहीं पोटली रास्ते में तो नहीं गिर गई फिर एक शहर में जाकर उसको एक लालची साहूकार मिलता है वह हमेशा लोगों को बेवकूफ बना कर उनसे ज्यादा धन कमाने की सोचता है अब गरीब किसान उसके पास पहुंचता है क्योंकि साहूकार बहुत चालाक था तो वह गरीब किसान का फायदा उठाने की सोचता है
जब गरीब किसान गाय को बेचने की बात करता है तो साहूकार सोचता है मैं इससे सस्ते पैसों में यह गाय खरीद लूंगा और इसे आगे महंगे दामों में बेच दूंगा और मुझे ऐसे ज्यादा फायदा हो जाएगा ऐसा सोचकर वह साहूकार गरीब किसान से गाय के बारे में पूछता है जब लालची साहूकार गाय के बारे में पूछता है तो वह देखता हे कि गाय टोकरी में रखा चारा खा रही होती है और अचानक से गाय के गोबर में एक सोने का सिक्का भी देती है
अब लालची साहूकार चुपचाप फिर से गरीब किसान को बातो में लगा के देखता है कि गाय के गोबर में फिर से एक और सोने का सिक्का निकल आता है लालची साहूकार सोचता है यह तो जादूई गोबर में सोना देने वाली चमत्कारी गाय है जितनी बार यह चारा खा रही है तो उतना ही सोना दे रही है इसको तो मैं जरूर खरीद के रहूंगा और इससे अमीर बन जाऊंगा ऐसा सोचकर वह उस गाय के दाम पूछता है
और लालची साहूकार उसको चार गुना पैसे देने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन गरीब किसान कहता है नहीं मेरी गाय का इतना महंगा दाम नहीं है मैंने तो आपको जितने रुपए बताई हैं उतने मुझे दे दो लालची साहूकार बोलता है कोई नहीं मुझे तुम्हारी गरीबी देखकर दया आ गई है मैं तुम्हें यह चार गुना दाम दूंगा मुझे कोई नुकसान नहीं है लेकिन तुम्हारा इससे भला हो जाएगा
ऐसा बोलकर वह उसकी
गाय को चार
गुना दाम में
खरीद लेता है
और फिर भगवान
को शुक्रिया अदा
करता है कि
मुझे सोना देने
वाली गाय मिल
गई है अब
तो मैं बहुत
ही अमीर बन
जाऊंगा
अब लालची साहूकार सोने के के सिक्के के लालच में गाय को अच्छा-अच्छा का चारा खाने को देता है और इंतजार करता है कि गाय चारा खाएगी और सोने का सिक्का देगी लालची साहूकार गाय देखता रहता है लेकिन सिक्का नहीं निकलता और फिर वह उसको और चारा खाने को देता है कि शायद अब सोने का सिक्का निकलेगा कुछ देर बाद लालची साहूकार की पत्नी आकर उससे पूछती है कि तुम यहां क्यों बैठे हो और इस गाय को इतना चार क्यों खिला रहे हो तब लालची साहूकार अपनी बीवी को सोने के सिक्के की बात बताता है और बोलता है इसको मैं जितना चार खिलाऊंगा यह उतना जादूई गोबर में सोना देने वाली गाय | Jaadui Gobar Mein Sona सोने के सिक्के गोबर में निकलेंगे यह चमत्कारी गाय है तभी उसकी बीवी बोलती है ऐसा भी कभी होता है यह चमत्कारी गाय नहीं है तुमने ध्यान से नहीं देखा होगा जब वह गरीब किसान वापस जा रहा था तो उसने इसकी पीठ पर एक पोटली बांधी थी और वह थोड़ी सी फटी हुई थी वह उस पोटली को खोलकर वापस अपने साथ लेकर जा रहा था शायद उसकी पोटली में से ही सोने का सिक्का गिरा होगा उस समय और तुम्हें लगा कि यह गाय सोने के सिक्के देती है
इतना लालच भी
अच्छा नहीं है लालच
बुरी बला है
लालची साहूकार को अपनी
बीवी की बात
सुनकर अपनी गलती
का एहसास होता
है और वह
समझ जाता है
कि उसने लालची
होकर ऐसा कदम
उठाया और वह सर पड़कर बैठ
जाता है
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