अमीर सहेली vs गरीब सहेली | Hindi Kahaniya New | Emotional Story in Hindi | New Hindi Moral Story 2025

पूजा और कुसुम दो सहेलियां एक शहर में रहती थी पूजा की शादी एक अमीर घर में हुई थी उसका पति शहर का एक अच्छा खासा बिजनेसमैन है वही कुसुम की शादी एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुई थी उसका पति एक फैक्ट्री में काम करता है वही कुसुम भी घर चलाने के लिए एक स्कूल में टीचिंग टीचर की जॉब करती थी





कल कुसुम के लड़के का जन्मदिन है कुसुम अपने पति से बोलती हे सुनो कल हम बच्चों को वाटर पार्क घुमाकर ले आते हैं तो जन्मदिन दिन भी मना लेंगे और इसी बहाने से आउटिंग भी हो जाएगी कुसुम के पति ने बोला ठीक है वैसे ही हम दोनों को दिन भर काम के चक्कर में बच्चों के लिए ज्यादा टाइम नहीं मिल पाता है फिर भी चलो कल संडे है इसलिए मैं तुम लोगों को वाटर पार्क ले जाऊंगा अब कुसुम सुबह बच्चों के साथ तैयार होकर अपने पति की बाइक में बैठकर वाटर पार्क की ओर जाने के लिए निकल जाते हे अचानक कुछ ही दूर जाने पर रस्ते में ही उनकी बाइक खराब हो जाती है अब गर्मी की तेज धूप में उसका पति अपनी बाइक ठीक करने की कोशिश करता है तो पता चलता है की बाइक के इंजन में कुछ प्रॉब्लम गई है इसीलिए अब उनको बाइक को मेकेनिक के पास लेकर ही जाना पड़ता है



कुसुम का पति  बोलता हे कि तुम किसी को हाथ दो अगर कोई रुक गया तो  मदद मांगेंगे अब कुसुम दूर तक देखी है तो दोपहर होने की वजह से सड़क पर बहुत कम गाड़ियां जा रही होती है अचानक से देखती हे एक कार वहाँ से गुजर रही होती हे कुसुम उस कार को हाथ देती है कहीं यह रुकेगी या नहीं रुकेगी फिर भी थोड़ा दूर जाकर वह कार रुक जाती है अब कुसुम भाग कर उस कार के पास जाती है जैसे ही वह उस कार के पास जाती है तो उसमें से एक महिला बोलती है क्या हुआ है कुसुम हमारी बाइक खराब हो गई है और  कुसुम बहुत गौर से उस महिला की तरफ देखती है तो वह बोलती है अरे पूजा तुम हो अरे मैं कुसुम तुम्हारी दोस्त पूजा बोलती है

कुसुम तुम यहां इतनी धूप में क्या कर रही हो तभी कुसुम बोलती है अरे अच्छा हुआ तुम मिल गई हम तो बहुत परेशान हो गए थे मेरे पति की बाइक ख़राब हो गयी हे अब हमें किसी मैकेनिक को लेकर आना पड़ेगा तब जाकर उनकी बाइक सही होगी इतने में ही पूजा का पति उससे पूछता है यह कौन है तो पूजा बोलती है अरे यह मेरी स्कूल फ्रेंड है हम कॉलेज में भी साथ पढ़ते थेतभी इतने में कुसुम बोलती है वाह पूजा तेरा अच्छा है इतनी धूप में कार में जा रही हैतभी पूजा बोलती है कुसुम तेरी किस्मत भी ऐसी ही खराब रही पहले से ही आज तू बाइक में जा रही है अब इतनी चिलचिलाती धूप में खुद तो परेशान है ही और बच्चे भी परेशान हो रहे हैं किस्मत का ही खेल है

अब मुझे देख मैं तो कार में आती हूं कार में जाती हूं ऐसा बोलकर कुसुम को पूजा ताने सुनाती है उसका पति भी बोलता है तुम भी किस-किस से दोस्ती कर लेती हो चलो हम लोग चलते हैं ये किसी और से मदद लेकर चले आएंगे हमें वैसे भी बहुत लेट हो रहा है ऐसा बोलकर वह गाड़ी स्टार्ट करता है तभी पूजा अपनी पैसों की हेकड़ी दिखाने के लिए कुसुम से पूछती है वैसे कुसुम तुम जा कहां रही थीतो कुसुम बोलती है आज मेरे बच्चे का बर्थडे हे तो हम आज बच्चों को लेकर वाटर पार्क जा रहे है

उतने में ही पूजा को भी याद जाता है कि कल उसके भी बेटे जन्मदिन है तभी वह अपने पति से बोलती है अरे कल तो हमारे बेटे का भी जन्मदिन है और यह तो वाटर पार्क जा रही है तो क्यों ना हम भी कल वाटर पार्क का plan  बना लें उसका पति उसको तेज आवाज में बोलता है देखो पूजा मैं तुम्हें पहले ही बताया है मेरे पास बिलकुल टाइम नहीं रहता है मुझे 50 तरीके के काम रहते हैं तुम कल बच्चों का बर्थडे मनाने चले जाना और मैं पैसे दे दूंगातभी पूजा कुसुम का मुंह देखती है और फिर अपने पति से बोलती है धीरे से बोलो अरे इसके सामने तो ऐसे बात मत करो मेरी इंसल्ट हो रही है

तब उसका पति और गुस्से में बोलता है इंसल्ट हो रही है तो मैं क्या करूं मेरे को बिल्कुल भी टाइम नहीं है जल्दी बैठो मुझे जाना है उतने में ही पूजा वहां से जाने लगती है तभी कुसुम उसको बोलती है पूजा एक बात बोलूं तुमने अभी कहा था ना कि तू गरीब है तू हमेशा ऐसे ही रहेगी तू क्या खुश रहती होगी लेकिन आज मुझे पता चल गया कि पैसा ही होना सारी खुशी नहीं होता मैं गरीब हूं लेकिन हम अपने  परिवार ki खुशी लिए निकाल लेते हैं देखो आज हम अपने बच्चों की खुशी लिए थोड़ी  कोशिश तो कर रहे हैं लेकिन तुम देखो तुम्हारे पास पैसा है सब कुछ है लेकिन अपने बच्चों के लिए तुम्हारे पास थोड़ा सा भी टाइम नहीं है ऐसे पैसों का क्या फायदा जिससे बाहरी खुशी खरीदी जा सके लेकिन अपनों के लिए टाइम ना मिले ऐसा बोल कर कुसुम वहां से चली जाती है और पूजा अपना सा मुंह लेकर चुपचाप वहां से चली जाती है

तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह समझ में आता है कि पैसो से ही सब कुछ नहीं होता है कितनी बार हम पैसे के पीछे अपने परिवार को समय नहीं दे पाते और उन्हें छोड़ देते हैं पैसा तो जाता है लेकिन वह समय फिर लौट कर वापस नहीं आता है.

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